नार हो न निराश करो मन को,
यह जीवन एक अद्वितीय यात्रा है।
संघर्षों का सामना करो साहस से,
संघर्षों का सामना करो साहस से,
हर मुश्किल को पार करो धैर्य से।
ज़िंदगी की चुनौतियों को गले लगाओ,
ज़िंदगी की चुनौतियों को गले लगाओ,
अपनी मंज़िल को हासिल करो जिद्द से।
आशा की किरणों को सजा कर रखो,
आशा की किरणों को सजा कर रखो,
अँधेरे में भी रोशनी की तलाश करो।
नार हो न निराश करो मन को,
नार हो न निराश करो मन को,
यह जीवन एक अद्वितीय यात्रा है।
हर कठिनाई से उठकर निकलो,
हर कठिनाई से उठकर निकलो,
जीवन के सारे रंगों को स्वीकार करो।
सपनों को पंख दो, उड़ान भरो,
सपनों को पंख दो, उड़ान भरो,
अपने सपनों को हकीकत में बदलो।
आसमान की ऊंचाइयों को छूने का सपना देखो,
आसमान की ऊंचाइयों को छूने का सपना देखो,
अपने सपनों को पूरा करने की धारा में बहो।
नार हो न निराश करो मन को,
नार हो न निराश करो मन को,
यह जीवन एक अद्वितीय यात्रा है।
जीवन के सारे संघर्षों को गले लगाओ,
जीवन के सारे संघर्षों को गले लगाओ,
हर कठिनाई को अपने बल से हराओ।
आत्म-विश्वास के साथ आगे बढ़ो,
आत्म-विश्वास के साथ आगे बढ़ो,
खुद को पहचानो, स्वयं को जानो।
नार हो न निराश करो मन को,
नार हो न निराश करो मन को,
यह जीवन एक अद्वितीय यात्रा है।
सपनों की उड़ान भरो,
सपनों की उड़ान भरो,
मन की ऊर्जा से, हर पल को जिओ,
खुशियों का संग्राम ले।
नार हो न निराश करो मन को,
नार हो न निराश करो मन को,
यह जीवन एक अद्वितीय यात्रा है।
यह कविता "नार हो न निराश करो मन को" एक प्रेरणादायक और मनोबल बढ़ाने वाली कविता है जो हमें जीवन में संघर्षों के मुखाग्नि में भी आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है। इस कविता में कवि ने हमें जीवन के हर मोड़ पर उत्साह और साहस से आगे बढ़ने की संदेश दी है।
कविता का प्रारंभ होता है उत्साहपूर्ण शीर्षक से, "नार हो न निराश करो मन को", जो कि मन को हार नहीं मानने और उसे निराश न करने का आह्वान करता है। इसके बाद, कवि हमें बताते हैं कि जीवन एक अद्वितीय यात्रा है, जो हमें कई मुश्किलों और संघर्षों के साथ सामना करना सिखाती है।
कविता में जीवन के साथी और मित्र के रूप में संघर्ष और साहस का जिक्र किया गया है। संघर्षों का सामना करने के लिए हमें साहस से आगे बढ़ने की आवश्यकता होती है और हर मुश्किल को धैर्य से पार करना होता है।
कविता में आगे बढ़ते हुए हमें यह सिखाया जाता है कि हमें अपने सपनों को पूरा करने के लिए हर संघर्ष का सामना करना चाहिए। यह हमें उत्साहित करता है कि हमें हार नहीं माननी चाहिए, बल्कि हमें अपनी मंजिल को प्राप्त करने के लिए जिद्द से लड़ना चाहिए।
कविता का संदेश यही है कि हमें अपने सपनों को पूरा करने के लिए निरंतर प्रयास करना चाहिए, हार नहीं मानना चाहिए और संघर्षों के माध्यम से हमें आगे बढ़ना चाहिए। इस कविता में हर व्यक्ति को जीवन में सफलता की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित किया गया है।
हरिवंश राय बच्चन के बारे में
रामधारी सिंह 'दिनकर' भारतीय साहित्य के महान कवियों में से एक थे। उनका जन्म 14 सितंबर 1908 को बिहार के भागलपुर जिले के सिमरा गाँव में हुआ था। उन्होंने अपने विशेष रचनाओं और कविताओं के माध्यम से समाज में जागरूकता फैलाने का कार्य किया। उनकी कविताएं आधुनिक भारतीय समाज की समस्याओं, धार्मिक और राष्ट्रीय विषयों पर आधारित थीं।
दिनकर जी की कविताओं में उन्होंने राष्ट्रीय आत्मगौरव, स्वतंत्रता, और समाज में समानता के महत्व को प्रमुखता दी। उनकी रचनाओं में ऊर्जा, प्रेरणा, और अद्वितीय कला की खोज की गई। उनकी प्रसिद्ध कविताएं जैसे "उर्वशी", "रश्मिरथी", "हाका-हाकी", "देश और विदेश", आदि आज भी लोकप्रिय हैं और लोगों को प्रेरित करती हैं।
उन्होंने राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया और उन्हें 1959 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उनका निधन 9 अप्रैल 1974 को हुआ, लेकिन उनकी कविताएं हमें आज भी जीवंत प्रेरणा स्रोत के रूप में मिलती हैं।