जल चक्र पर 10 पंक्तियाँ हिंदी में विषय पर 4 सेट नीचे दिए गए हैं। प्रत्येक सेट में 10 पंक्तियाँ हैं। अपनी आवश्यकता के अनुसार उनमें से कोई भी चुनें।
Set 1
- जल चक्र प्रकृति का एक महत्वपूर्ण और निरंतर चलने वाला चक्र है, जो पृथ्वी पर जल के संचरण को बनाए रखता है।
- यह चक्र सूर्य की ऊर्जा से संचालित होता है, जो जल को वाष्पित करने में सहायता करता है।
- जल चक्र की शुरुआत तब होती है जब सूर्य की गर्मी से समुद्र, नदियाँ, झीलें और अन्य जल स्रोतों का पानी वाष्प बनकर हवा में उठता है।
- इस प्रक्रिया को वाष्पीकरण (Evaporation) कहते हैं।
- इसके बाद, जल वाष्प ठंडी होकर बादलों में बदल जाती है, जिसे संघनन (Condensation) कहा जाता है।
- जब बादलों में जल वाष्प अधिक मात्रा में इकट्ठा हो जाती है, तो वह वर्षा के रूप में पृथ्वी पर वापस गिरती है।
- वर्षा का जल नदियों, झीलों, तालाबों और भूजल स्रोतों में एकत्रित होता है।
- इसके अतिरिक्त, भूमि पर गिरे जल का कुछ भाग मिट्टी के अंदर समाहित होकर भूजल स्रोतों को पुनः भरता है।
- यह जल फिर से वाष्पित होकर वातावरण में चला जाता है और जल चक्र को निरंतर चलाए रखता है।
- इस प्रकार, जल चक्र पृथ्वी पर जल की मात्रा को संतुलित बनाए रखने में एक अहम भूमिका निभाता है।
Set 2
- जल चक्र पृथ्वी के जल को लगातार पुनःचक्रित करने की एक प्राकृतिक प्रक्रिया है।
- इसकी शुरुआत सूर्य की गर्मी से होती है, जो समुद्र, नदियों और झीलों के पानी को वाष्पित कर देती है।
- वाष्पित होकर यह जल हवा में ऊपर उठता है और धीरे-धीरे ठंडा होने लगता है।
- ठंडा होने पर जल वाष्प छोटे-छोटे कणों में बदलकर बादल का निर्माण करती है, जिसे संघनन कहते हैं।
- बादल बनने के बाद, उनमें जल कणों की मात्रा बढ़ने लगती है और वे भारी हो जाते हैं।
- जब बादल पर्याप्त भारी हो जाते हैं, तो वे बारिश, बर्फ या ओले के रूप में जल को धरती पर वापस भेजते हैं।
- बारिश का यह जल नदियों, झीलों और जलाशयों में एकत्र होता है और कुछ हिस्सा भूमि के अंदर समाहित होकर भूजल बनाता है।
- इस जल का एक बड़ा हिस्सा पेड़-पौधों द्वारा अवशोषित किया जाता है और फिर वाष्पित होकर वातावरण में लौटता है।
- इस प्रकार जल वाष्प, बादल, वर्षा और भूजल के रूप में निरंतर चक्रित होता रहता है।
- जल चक्र पृथ्वी पर जल की निरंतर उपलब्धता सुनिश्चित करता है और विभिन्न पारिस्थितिक तंत्रों के लिए अत्यधिक आवश्यक है।
Set 3
- जल चक्र का मुख्य उद्देश्य पृथ्वी पर जल को पुनः भरना और इसे लगातार उपलब्ध रखना है।
- जब वर्षा का पानी भूमि में अवशोषित होता है, तो यह भूजल भंडार को समृद्ध करता है।
- भूजल का यह संग्रह पृथ्वी के अंदर लंबे समय तक संरक्षित रहता है और सूखे के समय जल की आवश्यकता को पूरा करता है।
- समुद्र, झीलें, नदियाँ और तालाब जल चक्र के प्रमुख स्रोत हैं, जिनसे जल वाष्पित होकर चक्र की प्रक्रिया को आगे बढ़ाता है।
- वनों और पौधों का भी जल चक्र में बड़ा योगदान होता है, क्योंकि वे अपने पत्तों के माध्यम से जल को वाष्पित करते हैं, जिसे वाष्पोत्सर्जन कहते हैं।
- वाष्पोत्सर्जन से हवा में नमी बढ़ती है, जिससे बादल बनने की प्रक्रिया में मदद मिलती है।
- जल चक्र केवल जल की मात्रा को नहीं बल्कि जल की शुद्धता को भी बनाए रखने में मदद करता है।
- यह चक्र सूखे और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं को संतुलित करने में भी सहायक है।
- जल चक्र का निरंतर संचालन पृथ्वी के विभिन्न जल स्रोतों को आपस में जोड़ता है और जीवन को संभव बनाता है।
- इस प्रकार, जल चक्र पृथ्वी की सतह पर एक स्वस्थ और टिकाऊ पर्यावरण के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
Set 4
- जल चक्र पृथ्वी पर जल के निरंतर प्रवाह को बनाए रखने की एक अद्वितीय प्रक्रिया है, जो विभिन्न प्राकृतिक प्रक्रियाओं को जोड़कर पृथ्वी पर जीवन के लिए आवश्यक जल उपलब्ध कराता है।
- सूर्य की ऊर्जा की वजह से समुद्र, झीलों और अन्य जल स्रोतों से पानी वाष्पित होता है, और यह वाष्प धीरे-धीरे वायुमंडल में ऊपर उठकर संघनन की प्रक्रिया से गुज़रता है।
- संघनन के दौरान यह वाष्प ठंडी होकर जल कणों में परिवर्तित हो जाती है, जो मिलकर बादलों का निर्माण करती है और बारिश के रूप में पृथ्वी पर वापस आने की तैयारी करती है।
- जब बादल अधिक भारी हो जाते हैं और जल कणों का भार सहन नहीं कर पाते, तो वे बारिश, बर्फ या ओलों के रूप में धरती पर गिरते हैं, जिसे वर्षण कहते हैं।
- वर्षा के रूप में गिरा यह जल नदियों, झीलों, तालाबों और भूमिगत जलाशयों में संग्रहित होता है, जो फिर से पृथ्वी की जल आवश्यकताओं को पूरा करता है।
- जल चक्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा वह है जब भूमि में प्रवेश किया जल, भूजल बनकर गहराई में जमा हो जाता है, जो न सिर्फ प्राकृतिक जल स्रोतों को बनाए रखता है बल्कि सूखे के समय आवश्यक जल आपूर्ति भी सुनिश्चित करता है।
- पौधों की जड़ें इस भूजल को अवशोषित करती हैं और वाष्पोत्सर्जन की प्रक्रिया के माध्यम से वायुमंडल में जल को लौटाती हैं, जिससे पर्यावरण में नमी का संतुलन बना रहता है।
- जल चक्र में वनों का योगदान भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है, क्योंकि वे वातावरण में नमी बनाए रखने में मदद करते हैं और बादलों के निर्माण को प्रोत्साहित करते हैं।
- यह चक्र पृथ्वी पर जल की स्वच्छता बनाए रखने में भी योगदान देता है, क्योंकि वाष्पीकरण और वर्षा के माध्यम से जल प्रदूषण का स्तर कम होता है और स्वच्छ जल पुनः पृथ्वी पर आता है।
- जल चक्र पृथ्वी की पारिस्थितिकी को संतुलित रखने, जल संकट को कम करने, और जीवन के सभी रूपों के लिए जल की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित करने का एक अनिवार्य हिस्सा है।