दादाभाई नैरोजी | Dadabhai Naroji Hindi Nibandh | Essay For Class 1-10

 

dadabhai naroji hindi mein

कक्षा 1 से कक्षा 10 के लिए निबंध / essay for class 1 to class 10

100 Words - 150 Words 

 

दादाभाई नौरोजी एक प्रसिद्ध भारतीय राष्ट्रवादी और सामाजिक सुधारक थे, जो 19वीं सदी में रहेउनका जन्म 1825 में बम्बई में हुआ था और उन्होंने ब्रिटिश औपचारिक शासन से भारत की स्वतंत्रता के लिए लड़ाई में एक प्रमुख व्यक्ति बनने का सफर तय कियानौरोजी ब्रिटिश संसद में चुने गए पहले भारतीय भी थे, जहाँ उन्होंने भारत के हितों और अधिकारों के लिए अथक प्रयास किया 


नौरोजी भारतीय स्वायत्तता के एक दृढ़ समर्थक थे और ब्रिटिश आर्थिक नीतियों के विरोध में थे जो भारत की संसाधनों का शोषण करती थी और उसके लोगों को गरीब करती थी। उन्होंने 1876 में भारतीय राष्ट्रीय संघ की स्थापना की, जो भारतीय राजनीतिक और सामाजिक कार्यों को बढ़ावा देने के लिए था।


नौरोजी का योगदान भारत की स्वतंत्रता संग्राम में और भारतीयों के अधिकारों के प्रचार-प्रसार में ने महात्मा गांधी जैसे भविष्य के नेताओं के लिए मार्गदर्शन दिया। नौरोजी की विरासत भारत के समृद्ध सांस्कृतिक और राजनीतिक इतिहास का महत्वपूर्ण हिस्सा बनी हुई है। 

 

250 Words - 300 Words

  

दादाभाई नौरोजी एक प्रख्यात भारतीय राष्ट्रवादी थे और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में सबसे प्रमुख व्यक्तियों में से एक थे। उनका जन्म 4 सितंबर, 1825, बॉम्बे, ब्रिटिश भारत में हुआ था। उन्हें "भारत के महान वृद्ध व्यक्ति" भी जाना जाता है। नौरोजी एक पारसी विद्वान, राजनीतिज्ञ, और अर्थशास्त्री थे। उनका योगदान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में उनके नाम से जाना जाता है। 

 

नौरोजी ब्रिटिश संसद में चुने जाने वाले पहले भारतीय थे। वह लिबरल पार्टी के सदस्य थे और 1892 से 1895 तक संसद के सदस्य के रूप में सेवा करते रहे। अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता के लिए आवाज उठाया और ब्रिटिश द्वारा भारत के आर्थिक शोषण के बारे में भी बोला। 

 

नौरोजी का भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में सबसे महत्वपूर्ण योगदान उनकी "धन का निकास" की संकल्पना थी। उनके अनुसार, ब्रिटिश द्वारा भारत के आर्थिक शोषण किया जा रहा था, और देश से उसकी संपत्ति निकाली जा रही थी। उन्होंने इस विषय पर कई पुस्तकें भी लिखीं, जिनमें "भारत में गरीबी और अंग्रेजी शासन" शामिल थी, जिसमें ब्रिटिश नीतियों के कारण भारत की गरीबी का विवरण दिया गया था। 

 

नौरोजी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के संस्थापक सदस्य थे, और उन्होंने इसकी नीतियों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वह भारतीय स्वायत्तता के पक्षधर थे और भारत की विविध समुदायों के बीच राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने के लिए काम करते थे। नौरोजी शिक्षा में भी गहराई से विश्वास रखते थे और भारतीयों के लिए उपलब्ध शैक्षणिक अवसरों को सुधारने के लिए काम करते थे। 


नौरोजी 30 जून, 1917 को ब्रिटिश भारत के बंबई में निधन हो गए। उनका विरासत भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक अग्रणी व्यक्ति के रूप में जीवित है और एक दूरदर्शी नेता के रूप में है जो अपने साथियों के अधिकारों और गरिमा के लिए लड़ा।