उनकी कविताएँ और उपन्यास उनके प्रेम, समाजिक और धार्मिक विचारों को प्रकट करते हैं। उनकी लेखनी विचारशील, विनम्र और संवेदनशील होती थी, जिससे वे अपने पाठकों के दिलों में घर बना लेते थे।
उनकी मशहूर कविता "मधुशाला" भारतीय साहित्य के महत्वपूर्ण भाग मानी जाती है, जिसमें उन्होंने जीवन के अर्थ और मानवीय उत्कृष्टता की महत्वपूर्ण बातें उजागर की हैं। हरिवंश राय बच्चन के लेखन की गहराई, रंगमंच और सिनेमा को भी प्रभावित किया। उन्होंने अपनी कविताओं के माध्यम से समाज को जागरूक किया और उनकी विचारधारा में गहराई लाई।
हरिवंश राय बच्चन एक ऐसे समय के कवि थे जब उन्होंने समाज में विशेष रूप से उत्तराधिकारी, सामाजिक और राजनीतिक विवादों के साथ जूझने का सामना किया। उनकी कविताओं में स्वतंत्रता, धर्मनिरपेक्षता, और मानवता के मूल्यों की महत्वपूर्ण बातें उजागर होती हैं।
उनका कलम धर्म, समाज, राजनीति और प्रेम के विषयों पर आलोचनात्मक विचार करती थी, जो उन्हें एक प्रतिष्ठित साहित्यकार के रूप में स्थान देने में मदद करता है। उनका योगदान साहित्य और सामाजिक जीवन में अमिट रहा है, और उन्हें भारतीय साहित्य के उन नामों में गिना जाता है जिनका योगदान अमर रहेगा।
कविता 1: मधुशाला
मदिरालय जाने को घर से चलता है पीनेवाला,
'किस पथ से जाऊँ?' असमंजस में है वह भोलाभाला,
अलग-अलग पथ बतलाते सब पर मैं यह बतलाता हूँ -
'राह पकड़ तू एक चला चल, पा जाएगा मधुशाला।'
कविता 2: कोशिश करने वालों की हार नहीं होती
लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती।
नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है,
चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है।
कविता 3: नीड़ का निर्माण फिर
नीड़ का निर्माण फिर-फिर,
नेह का आह्वान फिर-फिर!
वह उठाए जा रहा है, जो उठाने योग्य है ही,
शौर्य को असफल, सदैव व्यर्थ वंदनवाथ फिर-फिर!
कविता 4: तुम तोड़ दो यह भ्रम
तुम तोड़ दो यह भ्रम,
तुम तोड़ दो यह भ्रम,
मिट्टी की अनमोल प्रतिमा,
तुम्हें सिर्फ धूल बना सकती है!
तुम्हें सिर्फ धूल बना सकती है!
कविता 5: आ रही रवि की सवारी
आ रही रवि की सवारी,
दूर से चमकती सवारी।
शंख बज रहे हैं,
कह रहे हैं द्वार खलो, द्वार खलो।
कविता 6: मैं और केवल मैं
मैं और केवल मैं,
मैं और केवल मैं,
यह स्वार्थी जीवन,
कभी-कभी इसने भी,
रंग भरे हैं कितने।
कविता 7: किस्मत का लिखा
किस्मत का लिखा कोई मिटा नहीं सकता,
मन का यह जिद्दी पंछी,
मन का यह जिद्दी पंछी,
ऊँचे पहाड़ों पर भी उड़ान भर सकता।
कविता 8: तुम अगर मुझको न चाहो
तुम अगर मुझको न चाहो तो कोई बात नहीं,
तुम अगर मुझको न चाहो तो कोई बात नहीं,
तुम किसी और को चाहोगी तो मुश्किल होगी।
तुम किसी और को चाहोगी तो मुश्किल होगी,
मैं किसी और को चाहूँ, ये मुमकिन नहीं।
कविता 9: सपने जो देखे हमने
सपने जो देखे हमने, तुम न देख सके तो क्या,
हमने भी मंज़िल पाई,तुम न पा सके तो क्या।
तुम न पा सके तो क्या,तुमसे हम न रूठे,
सपने जो देखे हमने, तुम न देख सके तो क्या।
कविता 10: वो दिन गए जब
वो दिन गए जब
वो दिन गए जब
किसी के आने की
आहट से मन में
लहरें उठती थीं।
कविता 11: आज भी
आज भी अंधेरा है,
आज भी उजाला है,
आज भी खुशी है,
आज भी दुख का प्याला है।
कविता 12: जो बीत गई सो बात गई
जो बीत गई सो बात गई,
जीवन में एक सितारा था,
माना वह बेहद प्यारा था,
वो डूब गया तो डूब गया।
कविता 13: नीड़ का पुनर्निर्माण
नीड़ का पुनर्निर्माण कर,
अब न कर संकल्प अटल,
सपनों की शैया पर सो,
निशा न हो दिन की विकल।
कविता 14: उजाला
उजाला है न यहाँ कोई,
यहाँ तो अंधियारा है,
यहाँ तो अंधियारा है,
फिर भी यह मन,
फिर भी यह मन,
उजाले की आस में जिए जा रहा है।
कविता 15: तुमने और हमने
तुमने और हमने,
सपनों का संसार रचा था,
सपनों का संसार रचा था,
परंतु अब, परंतु अब,
उस सपने का भी अंत हो गया।
कविता 16: नई दिशाएँ
नई दिशाएँ खोजने की जिद में,
भटके पथिक की तरह,
मैं भी भटकता रहा,
मैं भी भटकता रहा।
कविता 17: प्यासा मन
प्यासा मन, प्यासा जीवन,
जीवन के इस रेगिस्तान में,
जीवन के इस रेगिस्तान में,
कहीं भी पानी नहीं,
कहीं भी पानी नहीं।
कविता 18: सपनों के पीछे
सपनों के पीछे भागते-भागते,
हमने पाया, हमने पाया,
सपने भी आखिर,
सपने ही होते हैं।
कविता 19: यादें
यादें, ये तेरी यादें,
दिल को कितना सताती हैं,
दिल को कितना सताती हैं,
फिर भी इन यादों में,
फिर भी इन यादों में,
एक सुकून भी है।
कविता 20: चाँदनी रात
चाँदनी रात में,
चाँदनी रात में,
तेरी याद आई,
तेरी याद आई,
मन में बसी,
मन में बसी,
एक नई कहानी।
कविता 21: आँसू
मेरे आँसू मेरे साथी,
दुख में भी संग रहते हैं,
दुख में भी संग रहते हैं,
खुशी में भी, खुशी में भी,
साथ निभाते हैं।
कविता 22: मंजिल
मंजिल की ओर बढ़ते चलो,
रास्ते की परवाह न करो,
रास्ते की परवाह न करो,
कदम-कदम पर,
कदम-कदम पर,
नई राहें मिलेंगी।
कविता 23: जिन्दगी की राहें
जिन्दगी की राहें,
कभी सरल, कभी कठिन,
कभी सरल, कभी कठिन,
फिर भी चलते रहना,
फिर भी चलते रहना,
न रुकना, न थकना।
कविता 24: प्रेम की बात
प्रेम की बात न पूछो,
दिल की बात न जानो,
दिल की बात न जानो,
सिर्फ महसूस करो,
सिर्फ महसूस करो,
इस एहसास को।
कविता 25: सपनों का गाँव
सपनों का गाँव,
मन में बसा,
मन में बसा,
हर मोड़ पर,
हर मोड़ पर,
नया रूप दिखाता।
कविता 26: संघर्ष
संघर्ष की राह पर,
कदम बढ़ाते चलो,
कदम बढ़ाते चलो,
मुश्किलें आएँगी,
मुश्किलें आएँगी,
पर डट कर सामना करो।
कविता 27: जीवन का गीत
जीवन का गीत गा,
जीवन का गीत गा,
सुर लय में बह,
सुर लय में बह,
हर दर्द को,
हर दर्द को,
संगीत बना।
कविता 28: खुशियाँ
खुशियाँ छुपी हैं,
छोटी-छोटी बातों में,
छोटी-छोटी बातों में,
इनको महसूस करो,
इनको महसूस करो,
हर पल, हर दिन।
कविता 29: स्वप्न और सत्य
स्वप्न और सत्य,
स्वप्न और सत्य,
दोनों का मेल,
दोनों का मेल,
जीवन की राहों में,
जीवन की राहों में,
एक अद्भुत खेल।
कविता 30: दिवास्वप्न
दिवास्वप्न में,
खो जाते हैं,
खो जाते हैं,
मन की दुनिया में,
मन की दुनिया में,
नए-नए रंग बिखर जाते हैं।कविता 31: स्मृति
तुम्हारी स्मृति में,
हर पल जी रहा हूँ,
हर पल जी रहा हूँ,
तुमसे बिछड़ कर भी,
तुमसे बिछड़ कर भी,
तुम्हें पा रहा हूँ।
कविता 32: जीवन और मृत्यु
जीवन और मृत्यु,
जीवन और मृत्यु,
दो किनारे एक नदी के,
दो किनारे एक नदी के,
एक को छूकर,
एक को छूकर,
दूसरे की ओर बहते।
कविता 33: प्रकृति का स्नेह
प्रकृति का स्नेह,
हर कली में बसा,
हर कली में बसा,
फूलों की मुस्कान,
फूलों की मुस्कान,
हम सबको लुभा रहा।
कविता 34: माँ का आँचल
माँ का आँचल,
स्नेह और ममता का,
स्नेह और ममता का,
आश्रय देता, आश्रय देता,
हर कठिनाई में।
कविता 35: विरह का गीत
विरह का गीत,
मन में गूंजता,
मन में गूंजता,
तुम्हारी यादें,
तुम्हारी यादें,
हर पल सताती।
कविता 36: आशा की किरण
आशा की किरण,
अंधियारे में चमके,
अंधियारे में चमके,
हर दुःख को,
हर दुःख को,
सुख में बदल दे।
कविता 37: सच्चा प्रेम
सच्चा प्रेम,
कभी न हारता,
कभी न हारता,
हर कठिनाई में,
हर कठिनाई में,
मजबूती से खड़ा रहता।
कविता 38: सच्चाई
सच्चाई की राह पर,
चलते रहो, चलते रहो,
हर मोड़ पर, हर मोड़ पर,
नया उजाला मिलेगा।
कविता 39: भरोसा
भरोसा, एक नींव है,
भरोसा, एक नींव है,
रिश्तों की इमारत का,
रिश्तों की इमारत का,
इसको बनाओ,
इसको बनाओ,
मजबूत और सुदृढ़।
कविता 40: अनजानी राहें
अनजानी राहें,
नए सफर की ओर,
नए सफर की ओर,
ले जाती हैं,
ले जाती हैं,
नए अनुभवों के द्वार पर।
कविता 41: मेरा प्यार
मेरा प्यार न सिमट पाया,
शब्दों के बंधन में,
शब्दों के बंधन में,
यह तो बहता रहा,
यह तो बहता रहा,
दिल की गहराईयों से।
कविता 42: जीवन की धारा
जीवन की धारा,
बहे जा रही है,
बहे जा रही है,
सुख-दुःख के संग,
सुख-दुःख के संग,
निरंतर चलती।
कविता 43: वो दिन
वो दिन भी क्या थे,
जब हम साथ चलते थे,
जब हम साथ चलते थे,
हर खुशी बाँटते थे,
हर खुशी बाँटते थे,
हर गम भूलते थे।
कविता 44: आसमान
आसमान की ऊँचाईयों में,
सपनों के पर फैलाओ,
सपनों के पर फैलाओ,
और उड़ो, और उड़ो,
नए क्षितिज की ओर।
कविता 45: प्रेम की परिभाषा
प्रेम की परिभाषा,
शब्दों में नहीं,
शब्दों में नहीं,
यह तो है अनुभूति,
यह तो है अनुभूति,
जो दिल में बसी रहती है।
कविता 46: यादों का सफर
यादों का सफर,
कभी थमता नहीं,
कभी थमता नहीं,
हर मोड़ पर,
हर मोड़ पर,
नई कहानी लिखता।
कविता 47: दिल की बात
दिल की बात कहने में,
कभी हिचकिचाना नहीं,
कभी हिचकिचाना नहीं,
क्योंकि यह वही है,
क्योंकि यह वही है,
जो हमें सच में जीना सिखाती है।
कविता 48: आगाज
आगाज नया है,
नई दिशा, नई राह,
नई दिशा, नई राह,
चलो आगे बढ़ते हैं,
चलो आगे बढ़ते हैं,
सपनों की ओर।
कविता 49: बचपन की यादें
बचपन की यादें,
बचपन की यादें,
मीठी-मीठी बातें,
मीठी-मीठी बातें,
सपनों की दुनिया,
सपनों की दुनिया,
फिर से जीने का मन होता है।
कविता 50: जीवन का सत्य
जीवन का सत्य,
समझना आसान नहीं,
समझना आसान नहीं,
पर इसे जीते-जीते,
पर इसे जीते-जीते,
हम सीख जाते हैं।
हरिवंश राय बच्चन की कविताएँ जीवन की विभिन्न अनुभूतियों का सजीव चित्रण करती हैं। उनकी रचनाएँ हमें अपने अंदर झांकने और जीवन को एक नई दृष्टि से समझने का अवसर देती हैं।
हरिवंश राय बच्चन की कविताएँ जीवन की विभिन्न अनुभूतियों का सजीव चित्रण करती हैं। उनकी रचनाएँ हमें अपने अंदर झांकने और जीवन को एक नई दृष्टि से समझने का अवसर देती हैं।